क्या आपने कभी सोचा है कि क्यों किसी लड़की के लिए उसका आइडियल (आदर्श) पार्टनर एक फिल्म का हीरो ही होता है। फिर वो चाहें फिल्म में फौजी हो, इंजीनियर, डॉक्टर या फिर गरीब किसान ही क्यों न हो। ऐसे अनगिनत किरदार को बेशक असल ज़िंदगी में वो न अपना पाएं मगर फिल्म में उन्हें ये सभी बहुत लुभाते हैं। क्योंकि वह नायक एक ऐसा आदर्श व्यक्ति होता है जो हर परिस्थिति का सामना करने में सक्षम हो जाता है। अगर सही मायनों में देखा जाए तो हीरो या विलेन ये दोनों हर इंसान में होते हैं, बस जो प्रभावशाली वही उसकी पहचान बन जाती है।
कुछ यही बताने का प्रयास किया है, श्री पी.के.श्रीवास्तव जी ने अपनी पुस्तक “हीरो” में। इस पुस्तक का प्रकाशन ऑनलाइऩ गाथा पब्लिकेशन द्वारा किया गया है। इस पुस्तक में श्री पी.के.श्रीवास्तव जी ने अपने अनुभवों को ही कहानी का रूप दिया है, इसीलिए इसका पूरा शीर्षक “हीरो...मेरी कहानी, मेरे अनुभव” रखा गया है। ज़िंदगी के संघर्षों पर लिखी गई इन कहानियों को पढ़ते वक्त मन भाव-विभोर हो उठता है किंतु साथ ही ज़िंदगी जीने और संघर्ष करते रहने का संदेश भी मिलता है।
लेखक पी.के.श्रीवास्तव यानि प्रमोद कुमार श्रीवास्तव जी को लिखने की कला विरासत में अपनी मां से मिली। लखनऊ निवासी श्री पी.के.श्रीवास्तव जी ने भारतीय रेलवे में मुख्य टिकट निरीक्षक के रूप में कार्य किया और 2013 में सेवानिवृत्त भी हो गए। श्रीवास्तव जी ने अपनी ज़िंदगी में बहुत संघर्ष किया है। पहले अपनी बेटी बाद में अपनी पत्नी को खोने का दर्द महसूस किया है।
“हीरो” में लिखी इन कहानियों में न तो कोई झूठ है, न बनावट, न कोई मिलावट। केवल और केवल सत्य पर आधारित यह लिखावट है। प्रमोद जी ने अपनी ज़िंदगी के 65 वर्षों तक जिये अनुभवों व यादगार पलों को दिल की गहराइयों से संजोया है। अपनी इस पुस्तक “हीरो” के विषय में पूछे जाने पर प्रमोद जी कहते हैं कि, “ये सभी कहानियां आम आदमी से संबंधित हैं इसलिए इन कहानियों को पढ़ते वक़्त आम आदमी को इसमें अपना अक्स और परेशानियां नज़र आएंगी साथ ही ज़िंदगी की हर मुसीबत का हल भी यहीं प्राप्त होगा”।
इस “हीरो” नामक पुस्तक में प्रमोद जी का लेखन सबको नाकामियों और खराब हालात में मंज़िल पाने का सलीका सिखाता है और दुःख में कैसे सुख का अनुभव किया जाए, इसकी प्रेरणा देता है। अपने लेखन में इन्होंने अति सुन्दर साहित्यिक भाषा का प्रयोग किया है। इसी भाषा व रचना शैली के साथ लेखक ने आम आदमी की ज़िंदगी के हर पहलू को बचपन से जवानी, जवानी से बुढ़ापे और जीवन के अन्त होते-होते, मौसम की तरह पल-पल बदलते रिश्ते, जज़्बात, विचार और कुछ छुए-अनछुए पहलुओं को लिखने का प्रयास किया है। उम्मीद है कि आपको भी प्रमोद जी का ये प्रेरणादायक अंदाज़ काफी पसंद आएगा।
पुस्तक- हीरो..मेरी कहानी, मेरे अनुभव
लेखक- पी.के.श्रीवास्तव
प्रकाशन- ऑनलाइन गाथा पब्लिकेशन