मनरेगा भारत में रोजगार उपलब्ध कराने वाली अपने तरह की सबसे वृहद योजना है। 2005 से अधिनियम बनने के बाद से इसका सफर अनवरत रहा है। मनरेगा के माध्यम से कौन-कौन से कार्य करवाये जा सकते है, इस बात की जानकारी का अभाव होने के कारण अधिकतर ग्राम पंचायत एक ही प्रकार के कार्य जैसे- तलाई नवीनीकरण, कच्चा मार्ग निर्माण आदि के प्रस्ताव भेज देते है।
क्षेत्र मे उपरोक्त कार्यो की आवश्यकता न होने के बाद भी अमूमन रोजगार देने के दबाव के चलते फिर उन्ही के जैसे कार्यो के प्रस्ताव भेज दिए जाते है। फलस्वरूप मस्टरोल प्राप्त नही होते है, न ही कार्य करने वाले मज़दूर एक प्रकार के कार्यो में तन्मयता दर्शाते है।
अत: कार्य का चयन ग्रामीण महत्व को ध्यान में रखकर हो तो निश्चित ही मज़दूर कार्य में इच्छाशक्ति दर्शाएंगे, योजना का उद्देश्य भी फलीभूत होगा एवं योजना से अपेक्षित ग्राम विकास की अवधारणा सार्थक होगी।
क्या आप जानते हैं?
मनरेगा दिशा निर्देश,2013 में प्रावधान है कि मुख्य रूप से किन कार्यो पर प्रस्ताव में प्राथमिकता होगी एवं प्राथमिकता में क्रियान्वन एंजेंसी क्रमश इस प्रकार होगा : ग्राम पंचायत, पंचायत समिति, जिला, राज्य, केंद्र हो सकते है, परन्तु अधिनियम की धारा 16(5) के अनुसार 50% कार्यो का निष्पादन ग्राम पंचायतो से ही होगा।
ग्राम पंचायत में होने वाली ग्राम सभा के माध्यम से 50% गणपूर्ति या अधिक की उपस्थिति में ये प्रस्ताव पारित किया जा सकता है कि ग्राम आवश्यकताओ को देखते हुए किन कार्यो को प्राथमिकता देकर नरेगा के माध्यम से करवाया जाये। Visit https://humaarisarkaar.in/